This File was last Updated/Modified: November 05 2014 06:37:08.
कृषि
योजनाओं के माध्यम से
पंच वर्षीय योजनाएं: >पहली > दूसरी > तीसरी > चौथी > पांचवी > छठी > सातवीं > आठवी > नौवीं > दसवीं > ग्यारहवीं
कृषि प्रभाग के कृत्य निम्नलिखित हैं:
- कृषि के उप सेक्टरों के विकास हेतु योजनाएं तैयार करना:
- पंच वर्षीय योजना, वार्षिक योजना हेतु विभिन्न उपसेक्टर/विषय संबंधी कार्यकारी दल गठित करना, उनकी संरचना को और कार्य की मदों को अंतिम रूप देना, उनकी रिपोर्ट पर विचार करना और मूल्यांकन टिप्पण तैयार करना, पृष्ठभूमि टिप्पण तैयार करके ऐसे क्षेत्रों का पता लगाना जिनकी और विशेष ध्यान देने की जरूरत है और दल में हुई चर्चा के संबंध में कार्यवाही के उपाय करना:
- योजना आयोग के दृष्टिकोण दस्तावेजों में शामिल करने हेतु दिशा निर्देश, मुख्य रणनीति और बल दिए जाने वाले क्षेत्रों को चिह्नित करना:
- पंच वर्षिय योजनाओं को तैयार करने के संदर्भ में पृष्ठभूमि टिप्पण तैयार करना और दृष्टिकोण, नीतियां, रणनीतियां, लक्ष्य, निवेश प्राथमिकताएं आदि को अंतिम रूप देने के लिए संबंधित केंद्रीय विभागों/मंत्रालयों के साथ बैठके करना
- प्रारूप योजना दस्तावेज में शामिल करने के लिए उप-सेक्टरीय अनुभाग के प्रारूप तैयार करना
- वार्षिक योजना परिव्यय को अंतिम रूप देने के लिए मुख्य मंत्रियों के साथ उपाध्यक्ष की चर्चाओं में राज्य-वार उप-सेक्टरों के बारे में तैयार की गई संक्षिप्त सामग्री का उपयोग किया जाता है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष और सदस्यों को जानकारी देने के लिए राज्य योजना सलाहकार इस संक्षिप्त सामग्री का उपयोग करते हैं।
- वार्षिक तथा पंच वर्षीय योजनाओं, पंच वर्षीय योजना प्रारुप प्रस्तावों और राज्य सरकारों के प्रस्तावों के बारे में कार्यकारी दल की बैठके आयोजित करना। इसमें पृष्ठभूमि पत्र तैयाकर करना, अंतर योजना प्राथमिकताओं पर चर्चा, योजना के उद्देश्यों, और दृष्टिकोण संबंधी योजना प्रस्तावों की आलोचनात्मक जांच, कार्यकारी दलों की रिपोर्ट जिसमें अन्य बातों के साथ साथ परिव्यय और वास्तविक लक्ष्य भी आते हैं, तैयार करना शामिल है।
- संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों की वार्षिक योजनाओं को अंतिम रूप देना। इसमें स्वीकृत लक्ष्य और परिव्यता के संबंध में वास्तविक तथा वित्तीय दृष्टि से हुई प्रगति का आंकलन, स्कीम वार प्रस्तावों की जांच और अगली वार्षिक योजना के लक्ष्य और परिव्यय संबंधी सिफारिशों पर विचार करना शामिल है।
- कंद्रीय योजना स्कीमों, मंत्री मंडल टिप्पणों, कृषि क्षेत्र आदि के बारे में अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों द्वारा किए गए उल्लेखों आदि के संबंध व्यय वित्त समिति ज्ञापनों पर की गई टिप्पणीयों की आलोचनात्मक जांच करना
- कृषि तथा संबंद्ध सेक्टरों से संबंधित महत्वपूर्ण मामलों का अध्ययन करना
- विभिन्न योजना नीतियों, रणनीतियों और कार्यक्रमों का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य के साथ निकट संबंध बनाए रखना और संगठनों/संस्थानों के साथ समन्वय रखना।
- संसदीय प्रश्नों, संसदीय समितियों आदि से संबंधित कार्य
2. इस प्रभाग में ये विषय लिए जाते हैं:
- कृषि अनुसंधीन तथा शिक्षा
- कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा से संबंधित सामान्य नीतियां और स्कीमें,
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद
- केंद्रीय अनुसंधान संस्थान
- कृषि विश्व विद्यालयों का विकास
- कृषि विस्तार तथा प्रशासन
- विभिन्न स्तरों प कृषि प्रशासन
- प्रौद्योगिकी को खेत तक ले जाना
- विस्तार तंत्र का दृढिकरण
- विस्तार, अनुसंधान और आदान एजेंसियों और स्थानीय संगठनों के बीच ताल मेल और संपर्क
- कृषि उपदान
- भूमि उद्घार सहित मिट्टी और जल संरक्षण
- वर्षा आधारित खेती - मुख्य फसलें
- अनाज की फसलें जैसे गेंहू चावल, मोटे अनाज और दालें
- वाणिज्यिक फसलें जैसे तिलहन, गन्ना, कपास, पटसन और मेस्टा
- पौध फसलें जैसे कॉफी, चाय, रबड़, मसाले और तंबाकू
- बागबानी फसलों का विकास
- कृषि सांख्यिकी
- कृषि निर्यात
- छोटे किसान कृषि व्यापार कंसोटियम
- पशु पालन
- पशु तथा भैंस प्रजन्न और उनका विकास
- पशुओं का दोनस्ली करण
- पशुओं का भोजन और चारा
- भेड़, ऊन, बकरी, सूअर, घोड़े और खच्चर आदि का विकास और उनका सहकारिता संगठन
- पशु और भैंस प्रजनन फार्म
- जानवरों की बीमारियों पर नियंत्रण
- जैविक उत्पाद और उनका उत्पादन
- टीकाकरण एवुं प्रमाणिकरण केंद्रों की स्थापना
- जानवरों के उत्पादों का उत्पादन जैसे दूध, अंडे और ऊन
- पशु कल्याण बोर्ड
- पशु पालन और डेयरी व्यवसाय संबंधी आंकड़ों का एकत्रीकरण और अनुसंधान
- पशु बध स्थल निगम संगठन
- डेयरी व्यवसाय और दूध आपूर्ति
- परियोजना का कार्यान्वयन
- दूध विपणन और डेयरी सहकारिता संगठन
- पशु योजना संयत्रों की स्थापना
- मछली पालन
- योजना के दौरान नीतियां और लक्ष्य
- मछली उत्पादन के लक्ष्य और कार्यक्रम
- समुद्री मछली पालन
- देश के अंदर मछली पालन
- प्रशिक्षण और विस्तारण
- कृषि विपणन, भण्डारण और वेयरहाउसिंग
- बाजार का विनियमन, प्रबंधन और विकास
- गुणवत्ता नियंत्रण
- विपणन, अनुसंधान, सर्वेक्षण और अध्ययन
- कृषि विपणन विस्तार
- ग्रामीण गोदाम
- सहकारिता कृषि ऋण और फसल बीमा
- सहकारी ऋण
- सहकारी विपणन
- सहकारी उपयोगीकरण
- सहकारी भण्डारण
- उपभोक्ता सहकारी समितियां
- सहकारी शिक्षा प्रशिक्षण और अनुसंधान
- कमजोर वर्गों जैसे श्रमिक सहकारी समितियां और परिवहन श्रमिक सहकारी समितियां
- विभिन्न संस्थागत संस्थानों से कृषि ऋण
- सहकारी समितियां
- वाणिज्यिक बैंक
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
- फसल बीमा