पर्यावरण और वन प्रभाग को सौंपे हुए क्षेत्र
पर्यावरण
जनसंख्या में वृद्धि और तीव्र आर्थिक उन्नति के कारण पर्यावरण पर बोझ बढ़ता है। उन्नति पर्यावरण के लिए सौम्य और टिकाऊ होनी चाहिए। पर्यावरण के विपरीत प्रभावों पर नजर रख कर समय पर उन्हें ठीक करना बहुत जरूरी है। विकास के दौरान इस कार्य हेतु अधिक पर्यावरणीय जानकारी, उचित नीतियां और विनियामक तंत्र का होना आवश्यक है।
वन
भारत का वन क्षेत्र 67.71 मिलियन हैक्टेयर है जो भोगौलिक क्षेत्र का 20.60 प्रतिशत होता है। इसमें 5.46 मिलियन हैक्टेयर (1.66 प्रतिशत) बहुत घना जंगल, 33.26 मिलयन हैक्टेयर (10.12 प्रतिशत) सामान्य रूप से घना है और शेष 28.99 मिलियन हैक्टेयर क्षेत्र खुला है जिसमें से 0.44 मि. है क्षेत्र में मैन्ग्रीस हैं। नीति का लक्ष्य यह है कि 33 प्रतिशत क्षेत्र में वन और पेड़ है। इसके लिए 16 मि. है. अतिरिक्त क्षेत्र में वनों की जरूरत है।
वन्य जीवन
अभयारण्य और राष्ट्रीय उदयानों से जैव विविधता का पता लगता है और उनके अनुरक्षण हेतु विशेष उपायों की जरूरत है।
वन्य जीवन की सुरक्षा के लिए 96 राष्ट्रीय उद्यान और 509 वन्य जीवन अभयारण्य घोषित किए गए हैं। कुल 15.7 मि. है. क्षेत्र में जो देश के भोगौलिक क्षेत्र का 4.78 प्रतिशत बैठता है, उसमें 20 प्रतिशत वन क्षेत्र संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क में अंतर्गत है।
जलवायु परिवर्तन
हमारे समय में पर्यावरण में ग्रीन हाऊस गैसिस (जीएचजी) के बढ़ते स्तर के कारण विश्व जलवायु परिवर्तन एक अति चिंताजनक विषय है। चूंकि ग्लोबल वाशींग वातावरण में जी,जजी की कुल मात्रा पर निर्भर करता है। इसलिए लगातार निकल रही गैसों को भूमि सोख नहीं पाती और तापमान बढ़ता जाता है। यदि गैस का यह रिसाव वर्तमान स्तर पर स्थिर हो जाए तो जलवायु परिवर्तन संबंधी अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) के विचारानुसार 0.20 सी तक प्रति दशाब्दि में यह गर्मी (वारमिंग) बढ़ती रहेगी। भूगर्भीय स्थिति के कारण भारत के बहुत से क्षेत्रों में प्रकृतिक तथा अन्य आपदाओं की मार झेलनी पड़ती है। लगभग 60 प्रतिशत भूमि भू-भाग में भूंचाल आते हैं और 8 प्रतिशत क्षेत्र में बाढ़ का प्रकोप सहना पड़ता है। लगभग 7500 कि.मी. लंबे तटीय क्षेत्र में से लगभग 5700 कि.मी. क्षेत्र साइक्लोन के प्रभावित होता है। लगभग 68 प्रतिशत क्षेत्र सूखे से प्रभवित होता है।
आपदा प्रबंधन
आपदा प्रबंधन योजनाएं तैयार करने और उनके कार्यान्वयन पर निगरानी अपेक्षित संस्थागत तंत्र स्थापित करने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 अभिनियमित किया गया ताकि आपदा निवारण और आपदा के प्रभाव में कमी के लिए सरकार के विभिन्न 'विंग' उपाय करें और किसी भी आपदापूर्ण स्थिति का सामना, ईमानदारी, समन्वित ढंग से शीर्घ कर पाएं।
पर्यावरण और वन प्रभाग ये कार्य करता है: