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This File was last Updated/Modified: November 05 2014 06:37:15.

खनिज

योजनाओं के माध्यम से
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उद्योग प्रभाग बड़े और मध्यम उद्योगों के बारे में नितियों और कार्यक्रमों के साथ-साथ औद्योगिकीकरण मामलों को संभालता है। यह प्रभाग केंद्रीय सेक्टर और राज्य/संघ क्षेत्रों के लिए वार्षिक और पंच वर्षीय योजनाओं हेतु बड़े और मध्यम उद्योगों के लिए योजनाएं और स्कीमें तैयार करने, उनके कार्यान्वयन और उनके मूल्यांकन संबंधी मामले देखता है। प्रभाग उद्योग-समूह/उद्योगों के बारे में मामले निपटाता है जिनमें इंजीनियरिंग उद्योग भी आते हैं जैसे पूंजीगत वस्तु उद्योग, इस्पात, अलौह घातुएं, जहाज निर्माण, उर्वरक, रसायन और पेट्रो-रसायन, औषधियां तथा फार्मासिचूटिकल्स पतसन एवं वस्त्र इलैक्ट्रॉनिक्स, कागज, कागज बोर्ड सीमेंट, चीनी, चमड़ा, अल्कोहल, अन्य उपभोक्ता उद्योग आदि आते हैं।

यह प्रभाग आर्थिक सुधार, उदारीकरण, विनिवेश, तकनीकी नीतियं, सरकारी क्षेत्र, विदेशी, सीधी निवेश, निर्यात, उत्पादकता, उपभोक्ता संरक्षण, वजन और नाप, पेटेंट/आईपीअर/व्यापार चिन्ह तथा एसे ही अन्य मामले भी जिनका देश के औद्योगिक विकास के साथ संबंध है, देखता है। सरकारी क्षेत्र के उद्यम और औद्योगिक वित्त संबंधी मामले भी यह प्रभाग संभालता है। मंत्रीमंडल टिप्पण के रूप में इन क्षेत्रों के लिए योजना आयोग को किए गए उल्लेख, संसदीय प्रश्न तथा अन्य पत्राचार का काम भी यह प्रभाग देखता है।

मोटे तौर पर प्रभाग के मुख्य कृत्य ये हैं:

  • औद्योगिक प्रोत्साहन ढांचे, निवेश प्रोत्साहन, संरचना विकास, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और तकनीक अंतरण सहित औद्योगिक विकास के बारे में औद्योगिक नीति तथा अन्य संबंधित नीति के मामलों के बारे में सभी कार्य।
  • सरकारी क्षेत्र के उद्यमों से सुधार और निजीकरण कार्यक्रम तथा गैर सरकारी क्षेत्र के विकास सहित सरकारी क्षेत्र के उद्यमों से संबंधित मामले,
  • औद्योगिक वित्त, वित्तीय संस्थान और पूंजी बाजार तथा रूग्ण उद्योगों के बारे में नीति, औद्योगिक पुनगर्ठन तथा औद्योगिक संबंधों के बारे में नीतियों के मामले।
  • औद्योगिक सांख्यिकी का उध्ययन तथा विश्लेषण और औद्योगिक विकास तथा रूग्णता के बारे में विशेष अध्ययन
  • सरकारी क्षेत्र में औद्योगिक परियोजनाओं का मूल्यांकन तथा संरचनात्मक विकास कार्यक्रमों सहित सरकारी क्षेत्र के उद्यमों संबंधी परियोजनाओं और स्कीमों की वास्तविक प्रगति की जांच और साथ ही इन उपक्रमों के वित्तीय कार्य-निष्पादन की समीक्षा।
  • निर्यात संरचना और संबद्ध गतिविधियों के विकास के बारे में औद्योगिक परियोजनाओं का आंकलन और मूल्यांकन
  • विश्व व्यापार संगठन के संदर्भ में नियार्त प्रोत्साहन प्रयासों और बाजार पहुंच के बारे में पहल के लिए प्रयासों का आंकलन।
  • सरकारी क्षेत्र उपक्रमों के विनिवेश संबंधी नीतिगत मामलों का कार्यान्वयन (यह प्रभाग सचिवों के 'कोर ग्रुग' में योजना आयोग के अधिकारियों को तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
  • औद्योगिक उत्पादन प्रवृत्तियों का अध्ययन और विश्लेषण, मांग अनुमानों संबंधी  भविष्यवाणी और औद्योगिक एककों के तकनीकी और आर्थिक पहलु, संगठित औद्योगिक क्षेत्र में पूंजी निर्माण, निधि आपूर्ति, औद्योगिक वित्त आवंटन की समस्याओं, क्षेत्रीय और पिछड़े क्षेत्रों का विकास आदि के बारे में अध्ययन।
  • विद्युत और परिवहन जैसै क्षेत्रों के बारे में औद्योगिक विकास कार्यक्रमों के बीच समन्वयन और समीक्षा तथा इस संबंध में और अन्य संबंधित विषयों के बारे में विभिन्न मंत्रालयों के बीच संपर्क बनाए रखना।
  • विभिन्न औद्योगिक उप-सेक्टरों के विकास, उनके वित्तपोषण, क्षमता और उत्पादन के लक्ष्यों की समीक्षा के बारे में योजनाएं और स्कीमें बनाना
  • विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में विकास को प्रभावित करने वाली वैज्ञानिक तथा तकनीकी प्रगति और तकनीकी अंतरण मामलों का अध्ययन।
  • उद्योगो के किसी विशेष सेक्टर में उन्नति में बाधक या उन्नति को तीब्र करने वाले कारकों का अध्यय और किन्हीं निजी उद्योगों और उद्योग समूह की विभिन्न समस्याओं के कारणों का विश्लेषण
  • औद्योगिक सेक्टर निर्यात प्रोत्साहन और संबद्ध गतिविधियों के बारे में केंद्र प्रायोजित स्कीमों के कार्यक्रमों और प्रगति की निगरानी
  • औद्योगिक मामलों के संबंध में विभिन्न मंत्रालयों, उद्योग संगठनों तथा अन्य सरकारी और गैर-सरकारी निकायं के बीच संपर्क बनाए रखना और इन विषयों से संबद्ध अंतर एजेंसी समितियों तथा ग्रुपों की चर्चाओं में भाग लेना।
औद्योगिक विकास मामलों के संबंध में राज्य सरकारों और संघ क्षेत्रों के बीच संपर्क रखना और राज्य तथा संघ क्षेत्रों की योजनाओं में औद्योगिक सेक्टर के लिए वार्षिक और पंच वर्षीय योजनाएं तैयार करने में भागीदारी।