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This File was last Updated/Modified: November 05 2014 06:38:20.

कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन

कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन की स्थापना योजना आयोग के सामान्य मार्गनिर्देश और निदेश के अंतर्गत अक्टूबर, 1952 में हुई थी ! इसका विशिष्ट कार्य सामुदायिक विकास कार्यक्रम और अन्य घन क्षेत्र विकास स्कीमों का आकलन करना था पहली पंचवर्षीय योजना में आकलन के त्रिकोण और तकनीकी का विकास और तीसरी योजना (1961-66) और चौथी योजना (1969-74) में राज्यों में आकलन तय की स्थापना ने बढाया है, क्रमश: विभिन्न क्षेत्रों मे यथा कृषि, सहकारिता, ग्रामीण उद्योग, मत्स्य पालन, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, आदि मर योजना प्रोग्राम/ स्कीमों के विस्तार से प्रोग्राम आकलन संगठन द्वारा लिया गया आकलन कार्य केंद्र द्वारा प्रायोजित अन्य महत्वपूर्ण स्कीमों में भी लागु हुआ। 1973 में प्रोग्राम आंकलन संगठन का योजना आयोग में विलय हो गया।

1. कार्य और उद्देश्य

कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन योजना आयोग के विभिन्न डिविजन और भारत सरकार के मंत्रालयों/ विभागों के आवश्यकता के अनुसार चुनिंदे प्रोग्राम / स्कीमों के मूल्यांकन का कम कर्ता है। मूल्यांकन अध्ययन इस प्रकार बनाया गया है कि वह प्रदाता प्रणाली का कार्य निष्पादन, क्रियान्वयन का तरीका और प्रभावकारिता को आंके। ये अध्ययन नैदानिक स्वरूप के हैं और उन कारकों कि पहचान करते हैं जो विभिन्न कार्यक्रमों की सफलता अथवा असफलता के लिए जिम्मेदार हैं और बीच में गलती सुधार करके वर्तमान स्कीमों के कार्य निष्पादन में सुधार करने के लिए सबक लाइट हैं और भावी प्रोग्राम की बेहतर रूपरेखा बनाते हैं।

मोटे तौर पर कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन द्वारा लिए गए उद्देश्य में शामिल है - प्रक्रिया और विकास कार्यक्रमों के प्रभाव का निष्पक्ष मूल्यांकन, प्रबंध और निष्पादन के विभिन्न चरणों में सफलता और असफलता के क्षेत्रों की पहचान करना, सफलता अथवा असफलता के कारणों का विश्लेष्ण, विस्तार के त्रिकोण और उस पर लोगों ’ की प्रतिक्रिया की जाँच करना और नए प्रोग्राम / स्कीमों को बनाने और क्रियान्वित करने में भावी सुधार करने के लिए सबक लेना है। इस दृष्टि से मूल्यांकन एक और प्रगति और समीक्षा के विशलेषण से ओर दूसरी स्कीमों और कार्यों के निरिक्षण, जाँच और संवीक्ष से विशिष्ट और अलग है।

कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन प्रशासनिक चैनलों से स्वतन्य होकर प्रत्यक्ष निरिक्षण सैंपल सर्वेक्षण और सामाजिक विज्ञान के शोध तरीकों से बाहरी मूल्यांकन कर रहा है, इस प्रकार प्रोग्राम आकलन संगठन द्वारा किया जा रहा आकलन अध्ययन प्रगति की रिपोर्ट करने अथवा जाँच और संवीक्षा कार्य जैसा कि प्रशासनिक मंत्रालयों / विभागों में किया जा रहा है, से अलग है, तथापि कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन मूल्यांकन के सभी चरणों में योजनाकारों और क्रियान्वयन एजेंसियों को शामिल करने का प्रयास कर्ता है जिससे कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन कि रिपोर्ट लाभदायक बन सके।

2. कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन और योजना बनाने की प्रक्रिया

भारत में योजना आयोग ने योजना बनाने कि प्रक्रिया में पहले ही इस बात को स्वीकार किया है कि योजना स्कीमों का प्रभावी रूप रेखा बनाने और क्रियान्वयन में जमीनी वास्तविकताओं का अपेक्षित ज्ञान होना चाहिए ताकि परियोजना और इसके पर्यावरण के बीच सम्बन्ध बना रहे और इसके परिणाम को पहले से सूचित किया जा सके। भारत सरकार ने कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन कि स्थापना अक्टूबर, 1952 में कि थी जिसका कार्य - प्रशासनिक चैनलों से सवतन्त्र होकर प्रत्यक्ष निरिक्षण, सैंपल सर्वेक्षण और सामाजिक विज्ञान के शोध त्रिकोण से बाहरी मूल्यांकन करना है। कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन द्वारा किए गए मूल्यांकन अध्ययन के निष्कर्षों और सुझावों का उपयोग विभिन्न पंचवर्षीय योजनाएं बनाने के दौरान किया गया, कुछ वृहत स्कीमों का मूल्यांकन ग्यारहवीं योजना कि मध्यावधि समीक्षा तक पूरा हो जायेगा।

ऊपर बताई गई कार्यनीति संसाधन के उपयोग में कुशलता लाएगी और योजना प्रोग्राम के कार्यनिष्पादन में सुधार होगा! वर्तमान मूल्यांकन तन्त्र को सक्रिय बनाने और मूल्यांकन क्षमता, जो सरकार से बाहर है, को नेटवर्क से जोड़ने के लिए प्रयास किए जायेंगे, जोर निम्नलिखित को दिया जायेगा:

  • वृहत सामाजिक क्षेत्र स्कीमों के लिए बेसलाइन आंकडों कि समस्या जो कि आमतौर पर उपलब्ध नहीं होती!
  • कार्यक्रम / स्कीम बनाने की प्रक्रिया और परिणाम सूचक कि पहचान करना जिससे संगत जानकारी संग्रह हो सके और निगरानी आंकडों का सार्थक विशलेषण हो सके।
  • इन हाउस निगरानी के परिणामों का पारदर्शी आंकड़े संग्रह विकसित करने पर विचार करना जिसका उपयोग स्वतंत्र मूल्यांकन कर्ता भी कर सके।
  • कार्यक्रम संघटकों का उचित विशलेषण करना।

ग्यारहवीं योजना में, कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन को अधिक मूल्यांकन करने कि आवश्यकता को पूरा करने के लिए इसकी क्षमता को बढाने के लिए सुद्रिढ़ किया जायेगा! आकलन क्षमता वाले नेटवर्किंग, जो सरकार के बाहर है, पर भी जोर दिया जायेगा ताकि कठिन आकलन वाले निष्कर्ष निकाले जो सकें!

3. आकलन को सुद्रिढ़ करने के लिए प्लान स्कीम

सरकार में आकलन क्षमता सुद्रिढ़ करने के लिए एक नई केन्द्रीय प्लान स्कीम वर्ष 2005-06 में आरम्भ कि गई थी! स्कीम का उद्देश्य योजनाकारों और नीति निर्धारकों के लिए द्रुत और लाभप्रद सुचना प्रदान करना है! विभिन्न प्रोग्रामों और परियोजनाओं के बेहतर आकलन से सार्वजिनक क्षेत्र के कार्य निष्पादन में सुधार आएगा और अर्थव्यवस्था, कार्यक्षमता, प्रभावशालिता, निरन्तरता और सरकारी क्षेत्र के वित्तपोष्ण की सुसंगतता और विकास में हस्तक्षेप से सम्बन्धित विषयों की इए विस्तृत क्षेत्र की भी समस्याएं हल होंगीं! 2006-07, 2007-08 और 2008-09 के वर्षों के लिए इस स्कीम के अंतर्गत प्रोग्राम आकलन संगठन को क्रमश: 8.55 करोड़ रूपये, 26 करोड़ रूपये और 12 करोड़ रूपये दिए गए।

स्कीम के उद्देश्य:

  • कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन में वर्तमान क्षमता को सुद्रिढ़ करना और सामान्यत: सरकार के अंदर और बाहर आकलन क्षमता का विकास।
  • विकास मूल्यांकन पर आंकडा आधार बनाना जो न केवल विभिन्न संगठनों द्वारा किए गए मूल्यांकन अध्ययन का संग्रहागार होगा अपितु उसमें प्रयोगकर्ता के लिए सरल फोर्मेट में मूल्यांकन के परिणाम, सीखे गए सबक, बेहतर तरीके आदि दिए होंगे।
  • कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन, योजना आयोग में उपलब्ध संसाधन वाले व्यक्तियों और विशेषज्ञों से प्रशिक्षण के द्वारा राज्य स्र्कयों को विशेषज्ञता प्रदान करना।
  • मूल्यांकन रिपोर्ट को अर्थपूर्ण, समयोचित और सूचनाप्रद बनाने के लिए स्कीम का अदयतन सांख्यिकीय साफ्टवेयर का पॅकेज प्रयोग के लिए देना और वर्तमान कम्प्यूटर हार्डवेयर का उन्नयन करना।
  • प्रोग्राम आकलन संगठन के सभी 15 फील्ड आफिस में छोटी लाइब्रेरी बनाना।
  • कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन के फील्ड आफिस और हेडक्वार्टर में ढांचागत सुविधाओं में सुधार करना।
  • प्रोग्राम आकलन संगठन के अधिकारीयों, अन्य मंत्रालयों, राज्य सरकारों और विकास प्रोग्रामों अथवा स्कीमों की आकलन में संलग्न गैर-सरकारी संगठनों को विकास से सम्बन्धित प्रशिक्षण प्रदान करना।

4. संगठनात्मक ढांचा

कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन उपाध्यक्ष, योजना आयोग के पूर्ण प्रभार के अंतर्गत मुख्य रूप से एक फील्ड स्तर का संगठन है, इसका तीन स्तरीय ढांचा है जिसका मुख्यालय योजना आयोग, नई दिल्ली में है मध्य स्तर का प्रतिनिधित्व क्षेत्रीय आकलन कार्यालय करते हैं जबकि अगला संपर्क फील्ड यूनिट होता है जिसे परियोजना मूल्यांकन कार्यालय कहते हैं।

शीर्ष में नई दिल्ली में स्थित मुख्यालय है जो उपयुक्त कार्यपद्धतियाँ बनाने के लिए जिम्मेदार है जिसमें विभिन्न तरह के आकलन अध्ययन के लिए सांख्यिकीय रुपरेखा बनाना, नमूना सर्वेक्षण आयोजित करना, उसे क्रियान्वित करना और उस पर निगरानी रखना, आंकड़े प्रोसिस करना और फील्ड यूनिटों द्वारा तैयार गुणात्मक और भागात्मक सामग्रियों की व्याख्या करना और आकलन रिपोर्ट प्रस्तुत करना भी शामिल है। संगठन का अध्यक्ष परामर्शदाता (आकलन ) होता है। मुख्यालय में एक संयुक्त परामर्शदाता, 5 निदेशक / उप परामर्शदाता और चार वरिष्ठ शोध अधिकारी परामर्शदाता को समर्थन देते हैं, निदेशक/ उप परामर्शदाता आकलन अध्ययन की रुपरेखा बनाने और उसे क्रियान्वित करने के लिए जिम्मेदार होते है और ’ परियोजना निदेशक ’ के रूप में कार्य करते हैं।
प्रोग्राम आकलन संगठन की मध्य कड़ी का प्रतिनिधितव 7 क्षेत्रीय आकलन कार्यालय करते हैं जो चंडीगड़, चेन्नई, हैदराबाद, जयपुर, कोलकत्ता, लखनऊ और मुम्बई में स्थित हैं। प्रत्येक क्षेत्रीय आकलन कार्यालय का अध्यक्ष एक क्षेत्रीय आकलन अधिकारी होता है जो निदेशक/ उप परामर्शदाता की रैंक को होता है और उसकी सहायता दो अनुसंधान अधिकारी, दो आर्थिक अन्वेषक ग्रेड - I और एक आर्थिक अन्वेषक ग्रेड - II करते हैं ! क्षेत्रीय आकलन कार्यालय फील्ड कार्य के पर्यवेक्षण; आकलन अध्ययन के लिए एकत्रित फील्ड सामग्री की संवीक्षा और संकलन के लिए उत्तरदायी है और अपने क्षेत्राधिकारी के अंतर्गत परियोजना आकलन कार्यालयों को मार्गनिदेश देता है। वे राज्य सरकारों के साथ निकट सम्पर्क बनाये रखने और राज्य स्तर के अध्ययन आयोजित करने में राज्य आकलन यूनिटों को तकनीकी मार्गनिर्देश देने के लिए भी जिम्मेदार हैं।

फील्ड यूनिट, जिसे परियोजना आकलन कार्यालय के नाम से जाना जाता है, प्रोग्राम आकलन संगठन की तीसरी श्रेणी है, ये देश के 8 बड़े राज्यों की राजधानी शहरों यथा गुवाहाटी, भुवनेशवर, शिमला, बेंगलुरु, भोपाल, पटना, तिरुवंत पुरम और श्म्दाबाद में स्थित हैं, प्रत्येक परियोजना आकलन कार्यालय का अध्यक्ष परियोजना आकलन अधिकारी होता है जो वरिष्ठ शोध अधिकारी की रैंक का होता है उसकी सहायता एक शोध अधिकारी, दो आर्थिक अन्वेषक, ग्रेड - I और दो आर्थिक अन्वेषक ग्रेड - II करते हैं! प्रत्येक परियोजना आकलन कार्यालय क्षेत्रीय आकलन कार्यालय के प्रशासनिक नियंत्रक में होता है। प्रोग्राम आकलन संगठन में परियोजना आकलन कार्यालय अपने क्षेत्रों में विकास प्रोग्रामों के कार्य और प्रगति की रिपोर्ट देने और अपने सम्बन्धित क्षेत्रीय आकलन कार्यालय के मार्गनिदेश के अंर्तगत आकलन अध्ययन करने के लिए उत्तरदायी होता है! वे क्षेत्रीय आकलन अधिकारी के पूर्ण पर्यवेक्षण में राज्य सरकारों के साथ निकट सम्पर्क बनाए रखने के लिए भी जिम्मेदार होते हैं।

प्रोग्राम आकलन संगठन के अंतर्गत आने वाले राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र और इसके फील्ड यूनिट, जिन्हें क्षेत्रीय आकलन कार्यालय और परियोजना आकलन कार्यालय खा जाता है, निम्न हैं:

प्रोग्राम आकलन सन्गठन के अंतर्गत आने वाले राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र

क्रमांक

क्षेत्रीय आकलन कार्यालय/क्षेत्र

सम्बंद्ध परियोजना आकलन कार्यालय/फील्ड यूनिट

क्षेत्रीय आंकलन कार्यालय प्रोग्राम आकलन संगठन के अंतर्गत आने वाले राज्य/संघ राज्य क्षेत्र

I. 

पूर्वी क्षेत्र

 

1

कोलकात्ता

  1. गुवाहाटी
  2. भुवनेशवर
  1. अरुणाचल प्रदेश
  2. असम
  3. मणिपुर
  4. मेघालय
  5. मिजोरम
  6. नागालैंड
  7. उड़ीसा
  8. सिक्किम
  9. त्रिपुरा
  10. पशचिम बंगाल
  11. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

 II.

उत्तरी क्षेत्र

 

1

चंडीगड़ 

  1. शिमला 
  1. हरियाणा 
  2. हिमाचल प्रदेश 
  3. जम्मू और कश्मीर 
  4. पंजाब 
  5. चंडीगड़ 
  6. दिल्ली

III.

दक्षिणी क्षेत्र 

 

1

चेन्नई 

  1. तिरुवनन्त पुरम 

 

  1. केरल 
  2. तमिलनाडु
  3. लक्ष्य द्वीप 
  4. पांडिचेरी 

IV. 

दक्षिण मध्य क्षेत्र

 

1

हैदराबाद 

  1. बेंगलुरु 

 

  1. आंध्र प्रदेश 
  2. कर्नाटक 

V.

मध्य क्षेत्र 

 

 

1

जयपुर 

  1. भोपाल 
  1. मध्य प्रदेश 
  2. छत्तीसगड़
  3. राजस्थान 

VI.

उत्तरी मध्य क्षेत्र 

 

 

1

लखनऊ 

  1. पटना 

 

  1. बिहार 
  2. झारखंड 
  3. उत्तर प्रदेश 
  4. उत्तरांचल 

VII. 

पशचिमी क्षेत्र 

 

 

1

मुंबई

  1. अहमदाबाद
  1. गोवा 
  2. गुजरात 
  3. महाराष्ट्र
  4. दादर और नागर हवेली 
  5. दमन और दिव 

 

5. विकास आकलन परामर्शदायी समिति 

प्रोग्राम आकलन संगठन को शोध के क्षेत्रों का प्राथमिकीकरण करने, अपनाए जाने वाले त्रिकोण और प्रोग्राम आकलन संगठन और विभिन्न आकलन/अनुसन्धान संगठनों और शैक्षिक संस्थाओं के बीच सम्पर्क  स्थापित करने और आकलन परिणामों पर अनुवर्ती कार्यवाही करने में मार्गनिदेश देने के लिए योजना आयोग ने 29 नवम्बर,2004 को उपाध्यक्ष, योजना आयोग की अध्यक्षता में एक विकास आकलन परामर्शदायी समिति की स्थापना की। योजना आयोग के सभी सदस्य, प्रसिद्ध शोध संस्थाओं और विश्व विद्यालयों से चार प्रसिद्ध अनुसन्धान प्रोफेशनल विकास आकलन परामर्शदायी समिति के सदस्य हैं और परामर्शदाता (आकलन)सदस्य सचिव है, समिति के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं: 

  • देश में आकलन शोध और प्रोग्राम आकलन संगठन के लिए प्रमुख विषय क्षेत्रों की पहचान करना।
  • प्रोग्राम आकलन संगठन के लिए वार्षिक योजना / दीर्धावधि-योजना पर विचार करना और अनुमोदन देना।
  • देश में विकास आकलन शोध की गुणवत्ता का आकलन करना और उस पर निगरानी रखना।
  • मूल्यांकन निष्कर्षों का योजना और कार्यान्वयन मंत्रालयों / विभागों द्वारा किए जो रहे अनुपालन पर निगरानी रखना।
  • प्रोग्राम आकलन संगठन और केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्य मूल्यांकन संस्थाओं और प्रोग्राम/स्कीमे और शोध के आकलन में लगे अन्य शैक्षिक संस्थाओं और संगठनों के बीच अधिक सम्पर्क विकसित करने के लिए उपाय सुझाना।
  • सुचना सृजन के त्रिकोण, मानकों और प्रक्रियाओं और उसके प्रयोग को बताने वाले राष्ट्रिय आकलन नीति बनाने के लिए मार्गनिर्देश देना।
  • देश में मंत्रालयों / विभागों, गैर सरकारी संगठनों, विश्व विद्यालयों और शोध संस्थाओं में आकलन क्षमता विकसित करने के लिए आकलन संसाधनों का आकलन करना और उपयुक्त कार्य पद्धतियाँ विकसित करना।
  • योजनाकारों / नीति निर्माताओं के लिए लाभप्रद मूल्यांकन जनकारी सृजित करने के लिए कार्यक्रम मूल्यांकन संगठन द्वारा कोई अन्य कार्य आरम्भ करने हेतु सुझाव देना।

6. गोष्ठी / कार्यशाला 

मूल्यांकन रिपोर्टों की गुणवत्ता और प्रोग्रामों की रुपरेखा बनाने और कार्यान्वयन में उनकी उपयोगिता के बारे में जानकारी लेने के लिए प्रोग्राम आकलन संगठन योजनाकारों, कार्यान्वयन एजेंसियों और विद्वानों से संवाद करता है! प्रोग्राम आकलन संगठन के कार्य क्षेत्र से सम्बन्धित विषयों पर नियमित आधार पर गोष्ठियां और बैठकें आयोजित की जाती हैं, सम्बन्धित मंत्रालयों/ विभागों के प्रतिनिधियों, विद्वानों, शोध संस्थाओं आदि, जिन्होंने विशेष क्षेत्रों में कम किया होता है, और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों को गोष्ठियों में आमंत्रित किया जाता है।

7. आकलन कर्मियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम 

  • आकलन तकनीकी में दक्षता को उन्नत करने के लिए प्रोग्राम आकलन संगठन समय -समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है! इनमे राज्य सरकारों, केन्द्रीय मंत्रालयों और सम्बन्धित संस्थाओं और संगठनो के अधिकारी भाग लेते हैं।
  • प्रोग्राम आकलन संगठन अपने अधिकारीयों को नेशनल इन्फोर्मेटिक्स सेंटर, योजना भवन यूनिट, नई दिल्ली की सहायता से समय -समय पर स्म्प्युत्र आधारित सांख्यिकीय पैकेज पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करता है।

8. सन्दर्भ पुस्तकें/ प्रोग्राम आकलन संगठन पुस्तकालय 

प्रोग्राम आकलन संगठन (मुख्यालय ) का अपना पुस्तकालय है जहाँ आकलन तकनीक पर किताबें और प्रोग्राम आकलन संगठन पर रिपोर्टें तत्काल सन्दर्भ के लिए उपलब्ध हैं।

9. इंटरनेट पर प्रोग्राम आकलन संगठन की रिपोर्ट 

प्रोग्राम कार्यान्वयन में सुधार लेन और विकास कार्यक्रमों के बारे में लोगों की जानकारी बढाने के लिए प्रोग्राम आकलन संगठन के निष्कर्षों का प्रसार करने के लिए प्रोग्राम आकलन संगठन की रिपोर्टें योजना आयोग के वेबसैट www.planningcommission.nic.in पर उपलब्ध है, ये रिपोर्टें मिडिया, प्रमुख शोध संस्थाओं और राज्य आकलन संगठनो को रिलीज की जाती हैं, ये शोधकर्ताओं और आम जनता को रिलीज की जाती हैं।

11. प्रोग्राम आकलन संगठन में कार्य की प्रगति 

प्रोग्राम आकलन संगठन ने अब तक 198 अध्ययन किए हैं, इस समय, लगभग 30 प्रोग्राम / स्कीमें प्रोग्राम आकलन संगठन के आकलन के विभिन्न चरणों पर है।